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डॉक्टर ने किया ऐसा ऑपरेशन की फट गई महिला की बच्चादानी, एक झटके ने बाहर आ गया बच्चा और फिर जो हुआ जानकर उड़ जायंगे होश

मरीज की हालत और स्थिति को भांपकर परिजनों को आधी-अधूरी जानकारी देकर स्थिति ज्यादा खराब होना बताकर तमाम दस्तावेजों में एनेश्वरी के पति नरोत्तम यादव का हस्ताक्षर करा लिया गया। इसके बाद उस महिला को रायपुर रेफर कर दिया गया। प्रबंधन ने अपने ही एंबुलेंस में भिजवाया और इलाज और पीडि़ता को रायपुर पहुंचाने का कोई चार्ज नहीं लिया गया।

महिला को रातोंरात रायपुर के वीवाय केयर अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। इस बीच महिला कुछ दिनों तक कोमा में रही। वहां जब डॉक्टरों ने महिला का इलाज शुरू किया तो बताया कि महिला की बच्चादानी फट गई है। वहां ऑपरेशन कर एनेश्वरी के बच्चेदानी को निकाला गया। फिर महिला के पेट में ब्लड का क्लाटिंग (थक्का) जम गया। इसे हटाने के लिए फिर से ऑपरेशन किया गया। बताया जा रहा है कि 2014 में भी इसी तरह का एक केस इसी अस्पताल में हो चुका है। वह महिला भी अब मां नहीं बन पा रही।

नरोत्तम यादव ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें गुमराह किया। इलाज में लापरवाही बरती गई है। तभी तो अस्पताल प्रबंधन ने इलाज के पैसे भी नहीं लिए। उन्होंने बताया कि मामले की शिकायत कलेक्टर, मानव अधिकार आयोग, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन, स्वास्थ्य मंत्री छत्तीसगढ़ शासन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भारत सरकार सहित मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भी लिखित शिकायत कर दोनों अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
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