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दल ही घर को निकला था ये मजदूर, 200 किमी बाद आख़िरी कॉल पर कहा- ‘लेने आ सकते हो तो आ जाओ’ और फिर जो हुआ

‘किसी से कहो कि वो तुम्हें मुरैना तक लिफ़्ट दे दे. हेल्लो? हेल्लो?’ कुछ देर कोई आवाज नहीं आई. सब शांत. अचनाक से फिर से उसी आवाज ने कहा, ‘100 नंबर पर फ़ोन कर लो. क्या कोई एंबुलेंस नहीं है? क्या वो तुम्हें नहीं छोड़ सकते? हेल्लो?’ इस बार भी दूसरी तरफ़ से कोई जवाब नहीं. एक तरफ़ की शांति दूसरी तरफ़ से आ रही चीख़ती आवाज को मानो खाए जा रही थी. उतने में ही तेज़-तेज़ सांस लेने की आवाज सुनाई देने लगी. फिर एक आवाज आई, ‘लेने आ सकते हो तो आ जाओ.’ ये शायद रणबीर सिंह के उनके परिवार के लिए आखि़री शब्द थे.

indianexpress की रिपोर्ट के मुताबिक़, रणबीर सिंह दिल्ली से मध्यप्रदेश स्थित अपने घर पहुंचने के लिए बेताब थे. लॉकडाउन था, कोई साधन नहीं. ऐसे में उन्होंने पैदल ही जाने का तय किया. दिल्ली से 200 किलोमीटर तक चलकर आगरा पहुंच गए. अब सिर्फ 100 किलोमीटर का सफ़र और तय करना था. लेकिन कदमों की चाल के आगे दिल की रफ़्तार धीमी पड़ गई. आगरा में उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई. मंज़िल पर पहुंचने की कोशिश में जिंदगी का सफ़र ख़त्म हो गया.

लाखों-लाख लोग अपना घर, गांव छोड़कर दूसरे शहरों में दो वक़्त की रोटी कमाने जाते हैं. 38 साल के रणबीर सिंह भी उनमें से ही एक थे. शहरों में आज आइसोलेशन और खुद को अलग रखने के नियम हैं. रविवार को पति की मौत की ख़बर सुनने के बाद ममता का रो-रो कर बुरा हाल है. मगर सामने तीन बच्चों की ज़िम्मेदारी है, जो उससे पूरी तरह दर्द भी बयां नहीं करने दे रही.

ममता ने बताया कि उसकी रणबीर से बात हुई थी. उसने पूछा था कि कब लौटोगे? मगर रणबीर ने कहा कि वो नहीं आ सकते. बता दें, रणबीर तुगलकाबाद स्थित एक रेस्तरां में डिलिवरी ब्वॉय का काम करते थे. अपने खाने के लिए वो रेस्तरां पर ही निर्भर थे. कालकाजी में डीडीए कॉलोनी के बगल में उनकी झोपड़ी भी थी. जांच अधिकारियों ने रणबीर की मौत का कारण दिल का दौरा पड़ना बताया है. 
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